गुरुवार, 21 फ़रवरी 2008

सबके होते हैं दो चेहरे

मैंने अक्सर महसूस किया है की हम सबके ही कम से कम दो चेहरे तो जरूर होते हैं। चाहे हम लाख इनकार करें या ये कहें की हम जन्म से लेकर अब तक सबके लिए सबके साथ हमेशा एक से ही रहे , मगर ये तय है कि हम और आप अक्सर समय समय अनुसार और कहें कि अपनी जरूरतों और ऐह्मीयतों के अनुसार अपने चेहरे बदलते रहते हैं । कई बार तो ये स्वयमेव ही हो जाता है और कई बार ये बेहद आवश्यक भी होता है कि हम अपने वास्तविक चेहरे और चरित्र से बिल्कुल अलग कोई नया नकाबनुमा प्रतिक्रिया दें।

मुझे ख़ुद लगता है कि मैं तो पल पल ही अपना चेहरा या कहूं कि वजूद ही बदल लेता हूँ। या फिर ऐसे कहूं कि जब भी अकेला नहीं होता हूँ तब जो भी मेरे सामना या साथ होता है उसी के अनुरूप ही मेरा आचरण और चेहरा बदल जाता है। अब मुझे नहीं पता कि ये कितना ग़लत होता है और कितना सही होता है मगर ये सच है कि ऐसा होता जरूर है। हाँ मगर जब कभी ये बात मुझे किसी अपने या यूं कहूँ कि माता पिता भाई बहिन , पत्नी बच्चों के साथ जानते बूझते और किसी भी वजह से करना पड़ता है तो कहीं ना कहीं दिल को ये बात चुभती जरूर है कि शायद ये नहीं होना चाहिए था। हालांकि ये बात भी है कि कई बार तो ऐसी परिस्थितियाँ बन जाती हैं कि ख़ुद पर खीज होने लगती है कि उस वक्त मैं अपना जैसा कि मैं चाहता था वैसा चेहरा क्यों नहीं बदल पाया । और यकीन मानिए ये दुःख तब और बढ़ जाता है जब ये पता चलता है किया अमुक इंसान ने तो अपना चेहरा बदल कर मुझे वो करने के लिए प्रेरित कर दिया जो मैं शायद कभी ना करता यदि मैं उसका असली चेहरा पहचान पाटा। एक और बात आप अपने किसी भी चेहरे को हमेशा के लिए छुपा कर नहीं रख सकते।

क्या आप के भी कई चेहरे हैं..

3 टिप्‍पणियां:

  1. कुछ भी क़ायम नही है,कुछ भी नही…रात दिन गिर रहे हैं चौसर पर…औंधी-सीधी-सी कौड़ियों की तरह…हाथ लगते हैं माह-ओ साल मगर …उँगलियों से फिसलते रहते है…धूप-छाँव की दौड़ है सारी……कुछ भी क़ायम नही है,कुछ भी नही………………और जो क़ायम है,बस इक मैं हूँ………मै जो पल पल बदलता रहता हूँ …Gulzaar bhi yahi kahtey hain......

    जवाब देंहटाएं
  2. शायद यही सच्चाई भी है।

    एक गाना भी कुछ ऐसा ही था एक चेहरे पे कई चेहरे लगा लेते है लोग।

    जवाब देंहटाएं
  3. parul jee aur mamta jee,
    aap dono kaa dhanyavaad. aur parul jee kamaal hai aapkaa andaaze bayan.

    जवाब देंहटाएं

मैंने तो जो कहना था कह दिया...और अब बारी आपकी है..जो भी लगे..बिलकुल स्पष्ट कहिये ..मैं आपको भी पढ़ना चाहता हूँ......और अपने लिखे को जानने के लिए आपकी प्रतिक्रियाओं से बेहतर और क्या हो सकता है भला