रविवार, 17 फ़रवरी 2008

बीबीसी के स्टूडियो से मेरा प्रसारण.

मैं बीबीसी हिन्दी सेवा रेडियो प्रसारण का बहुत पुराना और नियमित श्रोता हूँ और यहाँ आम तौर पर जहाँ लोग रेडियो सिर्फ़ या टू गाने या फिर कमेंट्री के लिए सुनते हैं यहाँ भी अपने आदत के अनुरूप मैं शोर्ट वाव रादिओं पर बीबीसी न्यूज़ सुनता हूँ और कभी कभार इंटरनेट पर बीबीसी हिन्दी डॉट कॉम पर भी सुनता हूँ। बीबीसी हिन्दी की अध्यक्षा अचला शर्मा जब भी लंदन से दिल्ली आती हैं तो समय मिलने पर मुझे मिलने के लिए अपने दिल्ली स्थित स्टूडियो जरूर बुलाती हैं। कुछ वर्षों पहले १६ दिसम्बर २००५ को ऐसे ही एक कार्यक्रम को रेकोर्ड करने के लिए अचला जी मुझे अपने स्टूडियो बुलाया था।
१४ फरवरी को सुबह अचानक ही फिर उनका फोन आ गया । उनका आदेश हुआ की यदि फुरसत हो और आ सको तो अभी बीबीसी के दिल्ली स्थित नए दफ्तर और स्टूडियो में पहुँच जाओ। फटाफट आदेश का पालन किया गया। इससे पहले मैं जिस स्टूडियो में गया था वो बहुत बड़ा नहीं था मगर अब हिन्दुस्तान टाईम्स की बिल्डिंग में पांचवी मंजिल पर एक बहुत बड़ा स्टूडियो और बेहद आधुनिक और आलीशान स्टूडियो पहुंचा।

अचला जी हमेशा की तरह मुस्कुराती हुई मिली। और हमेशा की तरह कुछ नए प्रयोग के बारे में सोचती हुए ।
मुझ से औपचारिक बातचीत के बाद उन्होंने अपना विचार सुनाया की इस सप्ताह श्रोताओं की प्रतिक्रिया का साप्ताहिक कार्यक्रम "आपकी रे " मुझे ख़ुद ही पेश करना है। मैं हैरान और अवाक था ये कैसे हो सकता है जिस कार्यक्रम में कभी चिट्ठी और कभी ई मेल के माध्यम से भेजे अपने पत्र मैं सुनता था आज उस कार्यक्रम को मैं ख़ुद अपनी आवाज में बीबीसी हिन्दी सेवा जैसी बड़ी संस्था से पेश करूंगा। मगर अचला जी कहाँ मानने वाली थीं । उन्होंने बताया की वे भी कार्यक्रम में मेरे साथ बनी रहेंगी। खैर पूरा कार्यक्रम आधे घंटे तक रेकोर्ड किया गया। जिसे १५ जनवरी को शाम आठ बजे प्रसारित किया गया । बहुत से सुखद अनुभवों के साथ ये भी वे स्वर्णिम पल थे जो मेरे जीवन के एल्बम में सुरक्षित हो गए। इसके साथ ही अचला जी और अन्य कई सह्योगिओं ने अपनी वही पुरानी सलाह दोबारा दे डाली की अब मुझे रेडियो प्रसारक के रूप में कुछ आगे गंभीर करना चाहिए । जाने आगे इश्वर क्या चाहता है।
यदि आप में से कोई इस कार्यक्रम को सुनना चाहता हो तो उसे बीबीसी हिन्दी डॉट कोम पर जाकार १५ जनवरी के कार्यक्रम में आपकी राय सुनना होगा।
अपने सुखद अनुभव को आपसे बांटने के लिए ये सारी बातें लिख दी । उम्मीद है की आप बोर नहीं हुए होंगे.

3 टिप्‍पणियां:

  1. पुराना कार्यक्रम कैसे सुना जा सकता है. क्या आप लिंक दे सकते हैं.

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  2. बधाई. अगर लिंक भेजें तो सुना जा सके.

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  3. aap dono mahanubhaavon ko mere dhanyavaad . main itnee takneek to nahin jaantaa. par haan yadi bbchindi.com bar jaa kar aap 15 feb ke din kaa karyakram (teesree sabha ) sune to awashya hee sun sakte hain. dhanyavaad.

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मैंने तो जो कहना था कह दिया...और अब बारी आपकी है..जो भी लगे..बिलकुल स्पष्ट कहिये ..मैं आपको भी पढ़ना चाहता हूँ......और अपने लिखे को जानने के लिए आपकी प्रतिक्रियाओं से बेहतर और क्या हो सकता है भला