सोमवार, 11 फ़रवरी 2008

क्या सचमुच प्यार सिर्फ एक बार होता है ?

आजकल हर तरफ प्यार की बातें, इश्क की चर्चा , और मोहब्बत के अफ़साने लिखे जा रहे हैं। हालांकि आज वसंत पंचमी है और यदि पहले की तरह गाँव में होता तो जरूर ही सरस्वती पूजा में लगा होता। वहाँ कहाँ ये वलेंताईन का कल्चर है अभी भी, वैसे तो वहाँ भी थोडा थोडा तो सब कुछ बदल ही रहा है , पर फिर भी यहाँ महानगरों वाले हालत तो नहीं ही हुए हैं। यूं तो मैं इस वलेंताईन कल्चर खासकर यहाँ के बदलते माहौल में जो भी इसका स्वरूप हो गया है उसमें इस प्रचलित होती संस्कृति से ज्यादा सहमत नहीं हूँ, कारण स्पष्ट है कि मुझे लगता है कि अभी भी हमारे बच्चे और हमारा समाज उतना विकसित , विशेषकर मानसिक तौर पर उस स्तर पर नहीं पहुंच सका है जहाँ इस वलेंताईन और इस जैसी पश्चिमी रिवाजों से प्रेरित और भी कुछ अपनाया जाये। मगर मेरे सोचने से कुछ नहीं होता और ये एक निर्विवाद सत्य है कि पिछले कुछ बरसों में तो ये संस्कृति बहुत तेज़ी से फ़ैली और फैलती जा रही है। खैर, आज मैं कुछ और बात कहना चाहता हूँ।

बचपन से आगे जब भी होश सम्भाला और प्यार के बारे में जो कुछ भी सुना और जाना वो ये था कि एक तो प्यार किया नहीं जाता और दूसरा ये कि प्यार सिर्फ एक बार ही होता है । मगर मेरा अपना अनुभव इसके बिल्कुल विपरीत रहा। सच तो ये है कि मुझे कभी भी प्यार हुआ नहीं , बल्कि या तो किसी और ने मुझसे प्यार किया या फिर ऐसा हुआ कि मैंने उससे प्यार किया। इतना ही नहीं कई बार तो मुझे ऐसा लगा कि जो भी , या जिससे भी मैं प्यार करना चाहता था उसे मुझे सोच समझ कर बताना पडा ये तक कि यदि उसने मुझे छोड़ कर अपने दुसरे विकल्प के बारे में सोचा तो ये उसके लिए और मेरे लिए ज्यादा नुकसानदेह बात होगी। और रही सिर्फ एक बार की बात , तो वो तो बिल्कुल ही गलत लगती है, ये जरूर सच होता है कि पहला प्यार या आकर्षण , जैसा कि सब उसे कहते हैं वो इंसान ताउम्र नहीं भूलता है मगर ये शायद सबके साथ नहीं होता कि उसे प्यार सिर्फ एक बार हो बल्कि मेरे ख्याल से इस बात का कोई निश्चित पैमाना, या उम्र ,या कुछ और नहीं होता कि अमुक आदमी को सिर्फ एक बार प्यार होगा या कि नहीं होगा। या फिर ऐसा हो सकता है कि चूँकि ये कच्चे उम्र का प्यार हमेशा ही अपरिपक्व और एक प्रकार का आकर्षण मात्र होता है इसलिए सही अर्थों में प्यार ही नहीं होता।

वैसे तो सच कहूं तो अब तक तो यही नहीं समझ पाया कि प्यार होता क्या है, जितने इंसान , इंसान ही क्यों जानवर भी , उतने ही तरह का प्यार देखने और समझने को मिलता है । मेरा अनुसंधान भी जारी है।

खैर , कोई बात नहीं जो चाहते है उन्हें हैप्पी वलेंताईन डे..

3 टिप्‍पणियां:

  1. जब आपको प्यार हो जाएगा तो आप भी जान जाएंगे कि यह कितना सुंदर एहसास है। वैसे यह दावे के साथ नहीं कहा जा सकता कि प्यार सिर्फ एक बार ही होता है। यह एक ऐसी चीज है जिसे पूरी तरह समझ पाना बेहद मुश्किल है।

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  2. प्यार के रुप कई हैं । आपने भी किया होगा अपने परिजनों से प्यार........ इसे किसी नाम या सीमा में क्यों बांधना.

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  3. pyaar ko naye najariye se dekhne aur dikhaane kaa shukriyaa aap dono kaa. dhanyavaad.

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मैंने तो जो कहना था कह दिया...और अब बारी आपकी है..जो भी लगे..बिलकुल स्पष्ट कहिये ..मैं आपको भी पढ़ना चाहता हूँ......और अपने लिखे को जानने के लिए आपकी प्रतिक्रियाओं से बेहतर और क्या हो सकता है भला