गुरुवार, 31 जनवरी 2008

अब साइमंड्स कटघरे में

अपने भज्जी मियां तो फालतू के आरोपों से बारी हो गए। फालतू के इसलिए क्योंकि ये कौन मान सकता है कि जो भारतीय खुद नस्लभेद का शिकार रहे हों वे खुद किसी पर नस्लभेदी टिप्पणी करेंगे। मगर यहाँ माजरा कुछ ज्यादा बढ़ गया है।

सुनने में आया है कि वानार्जगत ने अन्द्र्यु साइमंड्स को कटघरे में खडा करने का निर्णय लिया है। कल ही उन्होने साइमंड्स को पकड़ लिया और खूब खरी खोटी सुनाई॥

"क्यों बे, तुझे यदि भज्जी ने बन्दर कहा तो वो गाली कैसे हो गयी बे ? तूने अपनी शक्ल देखी है , पता ही नहीं चलता है कि तू कौन सा प्राणी है , नीचे चिद्दी सी दाढी , और सर पर ढेर सारी जता। और फिर तुम इंसान तो एक दुसरे को ना जाने कब से और ना जाने कितनी ही बार गधा , कुत्ता, बन्दर उल्लू, कहते आ रहे हो हमने तो आज तक बुरा नहीं माना। ये क्यों भूल गया कि तुम सब इंसा बन्दर की औलाद हो। ये अलग बात है कि अब तुम बन्दर रहे नहीं और इंसान बन नहीं पाए ।

लेकिन सर , वो नस्लभेदी तिप्नी थी। एंड्र्यू ने सफाई देनी चाही।

अबे चुप, कहे का नस्लभेद और कहे कि टिप्पणी । तुम लोग भी एक मैच जीतने के लिए क्या कया नाटक करते हो यार। अबे इससे अच्छा तो ये होता कि मैच फ़िक्सिंग कर लेते। बड़ा ही सेफ रास्ता है।

2 टिप्‍पणियां:

  1. kisne kaha bhartiya naslbhedi nahin hote. Kabhi Africa se aaye logon aur chhatron ke saath yahan ke logon ka vyavahar dekho. Uchh kuleen hi nahin jinhey paribhsha mein nichla tabka kehte hain unka bhi koi achha nahin hota.
    Bhale hi vo bechare hamari bhasha mein baat na samajh payen par kartey to hum bhed hi hain.

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  2. tarun jee,
    pehlee baat to ye ki pratikriyaa dene ke liye dhanyavaad. yaar, aapne to mere vyangya par hee badee gambheer tippni kar dee. waise meraa maanna hai ki chaahe lakh kahein magar ham ab bhee bahut se maamlon mein bahuton se achhe hain.

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मैंने तो जो कहना था कह दिया...और अब बारी आपकी है..जो भी लगे..बिलकुल स्पष्ट कहिये ..मैं आपको भी पढ़ना चाहता हूँ......और अपने लिखे को जानने के लिए आपकी प्रतिक्रियाओं से बेहतर और क्या हो सकता है भला