मंगलवार, 29 जनवरी 2008

बर्ड फ़्लू पर मुर्गों की बैठक ( नहीं स्टैंड अप )

जैसे ही समाचारों में ये बात आयी कि भारत के कुछ क्षेत्रों में बर्ड फ़्लू फैलने की खबर है देश भर के मुर्गा मंदी के नेता मुर्गों ने आपात स्टैंड अप बुलाया। दरअसल मुर्गे बैठते नहीं हैं और ऐसी कारगिल वार वाली सिचुअशन पर तो बिल्कुल नहीं।

देखिए एक बार फिर पश्चिमी देशों ने हम देसी मुर्गों पर कोई रासायनिक टाईप का हमला किया है और शोर मचा दिया है कि हमें बर्ड फ़्लू हो गया है। मुर्गा मंत्री ने इतना ही कहा कि प्रश्नों की झाडी लग गयी।

सर , ये बर्ड फ़्लू क्या है, क्या ये भी कोई आई लव यू ईलूयु कि तरह का तो नहीं है, मगर सर आजकल मुर्गियाँ कहाँ रही प्यार करने के लिए वे तो बस अंडो की फक्तारी बन गयी हैं।

सर, पहली बात ये जो कुछ भी है बर्ड से रेलातेद है तो हम क्यों चिंता करें? हम तो मुर्गे है। आप ही बताइये , हमें बिर्ड्स में कौन गिनता है? बच्चों को हमारे फोटो दिखाओ तो पूछेंगे कि पापा इसका अफगानी ज्यादा बढिया बनेगा कि फ्री । मुझे तो लगता है हम अब मुर्गे भी नहीं है सिर्फ चिकेन रह गए हैं।

सर मुझे ये समझ में नहीं आता कि हमें ही बार बार क्यों घसीटा जाता है , अभे कुछ दिन पहले ही सेन साहब ने कुछ हेद्लेस चिकेन कह कर भी हमें ख़बरों में ला दिया था।

मुर्गा मंत्री बौखला गया । अरे चुप रहो यार , तुम सब,. देखो, जहाँ जहाँ तक मुझे पता चला है कि ये कोई बड़ी बीमारी है एड्स की तरह जो पश्चिमी देशों ने ही फैलाई है। जैसे आज तक ये पता नहीं चला कि एड्स बंदरों से इन्सान में कैसे घुस गया वैसे ही ठीक ठीक नहीं पता है कि बर्ड फ्लाई करते करते बर्ड फ़्लू कैसे हो गया। स्थिति चिंताजनक है इसलिए सरकार हमारे लिए पुल्स पोलियो अभियान टाईप की कोई चीज़ शुरू करने के साथ एम्स हॉस्पिटल से दोक्त्रोर्ण की टीम भेजने वाली है ।

नहीं , नहीं सर ये तो गड़बड़ है। सुना है कि पोलियो द्रोप्स पीने से नपुंसकता आ जाती है और सर एम्स के दोक्तोर्स तो आज कल छुरी, कैंची, तोलिया, कच्छा, कंघा और पता नहीं क्या कया मरीजों के पेट में छोड़ रहे हैं।

मुर्गा मंत्री कुदक कर बोला, चुप बे तूने कौन सी मर्दानगी दिखानी है जो पोलियो द्रोप्स नहीं पिएगा अंडे तो मुर्गियाँ अपने आप ही दे रही हैं। और रही दोक्तोरों की बात , तो यदि वे हमारे पेट में कुछ छोडेंगे तो देर सवेर ये उनके ही पेट में पहुंच जाएगा । समझे।

नहीं नहीं सर, कहकर सारी मुर्गा मंडली लड़ने लगी। कई झटक दिए गए और कई हलाल हो गए। अंत में जो बचा वो सिर्फ चिकेन था। हेड लेस चिकेन.

3 टिप्‍पणियां:

मैंने तो जो कहना था कह दिया...और अब बारी आपकी है..जो भी लगे..बिलकुल स्पष्ट कहिये ..मैं आपको भी पढ़ना चाहता हूँ......और अपने लिखे को जानने के लिए आपकी प्रतिक्रियाओं से बेहतर और क्या हो सकता है भला