मंगलवार, 25 दिसंबर 2007

चिट्ठाकारी के कुछ खास नुस्खे

अपने कुछ दिनों कि ब्लोग्गिंग के अनुभव के बाद जो चंद बातें मैंने महसूस कि सोचा कि वे आपको बताता चलूँ, लेकिन कुछ भी लिखने से पहले से पहले मैं ये स्पष्ट कर देना चाहता हूँ कि ऐसा बिल्कुल नहीं है कि ये सारे नुस्खे कोई बडे तगडे या कि बहुत प्रामाणिक हैं । हाँ मगर इतना जरूर है कि मेरी तरह आनेवाले नए और नौशिकिये चिट्ठाकारों के लिए शायद ये जरूर फायदेमंद साबित हो सकते हैं।:-


अपना चिटठा आप यथासंभव सुबह छपने का प्रयास करें। ( ये बात मैं उन के लिए कह रहा हूँ जो भारत में रह कर ब्लोग्गिंग कर रहे हैं। ) इसकी वज़ह ये है कि मैंने महसूस किया है कि चिट्ठों को लोग तभी पढ़ते हैं जब वे अग्ग्रेगातोर्स के पास दिखाए देते हैं। यदि आपने देर रात कुछ लिख कर पोस्ट कर दिया है तो बहुत अधिक संभावना है कि सुबह तक उसकी जगह कोई और पोस्ट ले ले और इस तरह आपकी पोस्ट बिना पढे ही साइड लग जायेगी। ऐसा तब तक करना जरूरी है जब तक आप इतने पाठक ना बना लें जो आपको पढ़ने के लिए तत्पर रहे।


जरूरी नहीं कि हमेशा गंभीर बातें ही लिखी जाएँ , या कि सिर्फ गंभीर विषयों पर ही कुछ लिखा जाये । कभी कभी थोडे बदलाव के लिए कुछ हल्का फुल्का भी लिखते रहना चाहिए। या फिर ऐसा भी कर सकते हैं कि उन्ही बातों को कुछ हलके फुल्के तरीके से कहा जाये।

ज्यादा फिलासफी ना झाडें तो अच्छा , क्योंकि शायद आज के जमाने में किसी के पास इतना वक़्त नहीं होता कि वो आपके आदर्शों को झेलने के लिए समय निकाल सके।

यदि कविता -ग़ज़ल आदि लिखते है तो ऐसी लिखने कि कोशिश करें उसका मजमून कुछ ऐसा हो कि एक आम पाठक भी आराम से पढ़ कर उसे समझ सके। कहीं ऐसा ना हो कि उसे समझाने के लिए खुद आपको ही सामने आना पड़े या फिर कि खुद मिर्ज़ा घलिब साहब को कोई नया ब्लोग लिख कर उनके मतलब बतानें पडें।

एक जरूरी बात यदि आप चाहते हैं कि लोग आपको पढ़ कर टिप्पणी करें तो आप ये जान लें कि दुसरे भी यही चाहते हैं इसलिए पहले आप खुद टिप्पणी करने की आदत डालें । अब जाहिर है कि कम से कम अपने ब्लोग पर अपनी टिप्पणी डालने का काम तो आप नहीं करेंगे।

एक आख़िरी बात ,यदि एक ही स्टाइल आपको थोडा बोर करने लगे तो ब्लोग के रंग-रुप,टेम्पलेट, फॉण्ट आदि में कभी कभी थोडा बहुत परिवर्तन आपको और आपके ब्लोग को ताजगी का एहसास कराएगा।

तो हे, चिट्ठाकार मित्रों आप मेरे इन अनुभवों से कितना इत्फाक रखते हैं ये तो नहीं जानता, ना ही ये जानता हूँ कि इससे सचमुच नए आगंतुकों को कोई लाभ होने वाला है मगर इतना तो सच है ही कि इस naacheez ने जो जाना समझा वो बता दिया।

एक आख़िरी से भी आख़िरी बात यदि आपकी पोस्ट पर कोई टिप्पणी नहीं आ रही है तो भी उदास होने कि कोई बात नहीं यार आफ्टर आल आप कोई आमिर खान तो हो नहीं सो डोंट वोर्री बे हैप्पी

6 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सही जानकारी....! कभी कभी जानते हुए भी हमें कोई दूसरा बताए तो असर होता है ... आपने बहुत अच्छा लेख लिखा...शुभकामनाएँ

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  2. बात तो पते की बतायी।

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  3. आपके सारे नुस्खे एकदम सही हैं. मैं उन सभी का अनुमोदन करता हूँ

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  4. अच्छी एवं सटीक जानकारी के लिए शुक्रिया....

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  5. शुक्रिया....... कोशिश करेगें कि आपके अनुभवों का हम भी लाभ उठाये।

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  6. kyaa baat hai bhai, mujhe jara bhi andaazaa nahin thaa ki ye chtote chote nuskhe apko itne pasand aayenge dhanyavaad. ek baat aap logon se puchnaa chaahtaa hoon, ye aap log apni tippni hindi mein kaise de dete hain mujse ho nahin paataa, jara margdarshan karein

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मैंने तो जो कहना था कह दिया...और अब बारी आपकी है..जो भी लगे..बिलकुल स्पष्ट कहिये ..मैं आपको भी पढ़ना चाहता हूँ......और अपने लिखे को जानने के लिए आपकी प्रतिक्रियाओं से बेहतर और क्या हो सकता है भला