शुक्रवार, 28 दिसंबर 2007

नए साल पर एक और कविता

जीवन चक्र फिर घूम गया,
इक नया साल फिर आया है,
नई है खुशियाँ,नए हैं सपने,
नई चुनौतियां लाया है॥

इस साल पूरे हो जाएँ,
देखे जो सारे सपने हैं।
बस याद रहे वो सब,
काम जो सारे करने हैं॥


इश्वर की कृपा बनी रहे ,और,
मात-पिता का आशीष मिले,
जिसने दुःख दिए है जो भी,
उसको ही ये दुःख हरने हैं।



आप सबको नव वर्ष के आगमन पर अग्रिम बधाई और शुभकामना

2 टिप्‍पणियां:

  1. i like your poem very much, at least there is somebody who includes his parents in his wishes for the new year. good work... carry on..

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  2. priya pk jee,

    dhanyavaad. aapne apne vichaar diye iske liye aur usse jyaadaa is baat ke liye ki apne meri kavitaa par apnee tippni kee.

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मैंने तो जो कहना था कह दिया...और अब बारी आपकी है..जो भी लगे..बिलकुल स्पष्ट कहिये ..मैं आपको भी पढ़ना चाहता हूँ......और अपने लिखे को जानने के लिए आपकी प्रतिक्रियाओं से बेहतर और क्या हो सकता है भला