दिल्ली में सड़क दुर्घटनाएं बढ़ती जा रही हैं । रोज कहीं ना कहीं मासूम लोग अकाल मृत्यु को गले लगा रहे हैं। इसमे कोई शक नहीं कि बड़ी गाड़ियों , बसों, ब्लू लाइन और डी टी सी बसें भी घोर लापरवाही और ग़ैर जिम्मेदाराना तरीके से चला रहे हैं। और अधिकांश दुर्चात्नाएं सिर्फ इनके कारण ही हो रही हैं।
लेकिन ये भी उतना हे बड़ा और बेहद कड़वा सच है कि हम-आप ,हमारे बच्चे भी आज गाड़ियों को चलाने में बेहद लापरवाह हो गए हैं। किसी ने भारतीयों की ड्राइविंग के बारे में एक बहुत सच्ची बात कही है " यहाँ ड्राइविंग लाईसेन्स तो सबके पास है मगर ड्राइविंग सेंस किसी के पास भी नहीं है।" घर का ११-१२ साल का बच्चा स्कूटर ,बाएक ले के निकल जाता है । किसी को कोई चिंता नहीं कोई फिक्र नहीं। जरूरी नहीं कि जब तक अपने ऊपर ना बीते संभला न जाये । वैसे सबसे बडे अफ़सोस कि बात तो ये है कि घटनाएँ-दुर्घटनाएं भी सबक नहीं सीखा पाती।
तो बस ब्लू लाइन -ब्लू लाइन का ही राग क्यों लगा रखा है ? शायद हम कभी ये महसूस कर सकें।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
मैंने तो जो कहना था कह दिया...और अब बारी आपकी है..जो भी लगे..बिलकुल स्पष्ट कहिये ..मैं आपको भी पढ़ना चाहता हूँ......और अपने लिखे को जानने के लिए आपकी प्रतिक्रियाओं से बेहतर और क्या हो सकता है भला