tag:blogger.com,1999:blog-7089285769560975105.post2353856008304446846..comments2023-10-24T14:27:17.400+05:30Comments on बुकमार्क ... : मेरे शब्द ही मेरी पहचान हैं ............अजय कुमार झाhttp://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.comBlogger20125tag:blogger.com,1999:blog-7089285769560975105.post-20557184485630290412010-01-10T12:10:37.817+05:302010-01-10T12:10:37.817+05:30देखिये इसी बहाने कितना अच्छा लिख डाला है आपने...
...देखिये इसी बहाने कितना अच्छा लिख डाला है आपने...<br /><br />ये सब दौर तो चलता ही रहेगा। दरअसल ब्लौग-जगत में उपलब्ध त्वरित-प्रतिक्रिया का विकल्प ही इसे इतना कंट्रोवर्सी-प्रोन बनाता है। सब क्षणभंगूर किंतु...गौतम राजऋषिhttps://www.blogger.com/profile/04744633270220517040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7089285769560975105.post-3631935622759379062010-01-09T18:36:10.076+05:302010-01-09T18:36:10.076+05:30बहुत सटीक अभिव्यक्ति ...बहुत सटीक अभिव्यक्ति ...समयचक्रhttps://www.blogger.com/profile/05186719974225650425noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7089285769560975105.post-71371594774282899592010-01-09T13:25:57.283+05:302010-01-09T13:25:57.283+05:30ऐसे ही मैं आप का प्रशंसक नहीं हूँ !
कुछ बात है कि ...ऐसे ही मैं आप का प्रशंसक नहीं हूँ !<br />कुछ बात है कि ...गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7089285769560975105.post-23182835050197673802010-01-09T12:58:22.929+05:302010-01-09T12:58:22.929+05:30बस अपनी लगन से अपना काम करे जाओ गुटबन्दी किस लिये ...बस अपनी लगन से अपना काम करे जाओ गुटबन्दी किस लिये ? खैर ये गुटबन्दी वाली बात कभी मेरी समझ मे नहीं आयी कौन कौन से3 गुट हैं क्यों हैं कहाँ हैं शायद मैं सभी गुटों मे हूँ । हा हा हा अच्छा लिखा है बहुत बहुत शुभकामनायें ये नोक झों क चलती रहे तो रोनक बनी रहती है ब्लाग जगत मे । बस चलते रहिये देखते सुनते रहिये टिपियाते रहिये।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7089285769560975105.post-47976477758163812112010-01-09T11:24:30.908+05:302010-01-09T11:24:30.908+05:30Aapke aalekhne sanjeeda bana diya..
Aapko naya saa...Aapke aalekhne sanjeeda bana diya..<br />Aapko naya saal mubarak ho!kshamahttps://www.blogger.com/profile/14115656986166219821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7089285769560975105.post-68861017005218616682010-01-09T10:58:52.421+05:302010-01-09T10:58:52.421+05:30बिल्कुल ठीक कहा आपने
कि
नीयत में खोट नहीं होनी चाह...बिल्कुल ठीक कहा आपने<br />कि<br />नीयत में खोट नहीं होनी चाहिए , और यदि नीयत में खोट है तो फ़िर शब्द , विचार, विश्लेषण , तर्क .....सब कुछ बेमानी है<br />लेकिन<br />चिंता में दुबले होने से तो अच्छा है कि अपना काम किया जाए। फिर चाहे कोई कायर कह पुकारे।<br /><br /><a href="http://www.google.com/profiles/bspabla" rel="nofollow"> बी एस पाबला</a>Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7089285769560975105.post-65004716826217049482010-01-09T09:17:02.998+05:302010-01-09T09:17:02.998+05:30पहले ही कह दूं भुत अच्छा लिखा है आपने ..कहीं भूल न...पहले ही कह दूं भुत अच्छा लिखा है आपने ..कहीं भूल न जाऊं<br />ये ब्लागजगत भी समाज का प्रतिबिम्बन है -जो यहाँ से भागना चाहते हैं वे वही है<br />जिन्हें समाज से भी कुछ ल्केना देना नहीं है -वे एक तरह के हीन श्रेष्टता बोध से भी ग्रसित है<br />समाज भी असी लोगों को एक लप्पड़ लगा के चल देता है<br />इसलिए ही विचारों में ध्रुव विरोधी होने के बावजूद भी मैं रचना सिंह का वस्तुतःएक परोक्ष (और यह प्रत्यक्ष भी ) प्रशंसक हूँ .<br />वे मुद्दों को लेकर डटी तो रहती हैं यहाँ और मैं भी उन मुद्दों पर सर्वजन के विचारों का आह्वान करता रहता हूँ .<br />होने दीजिये न गुत्थम गुत्था -एक बात जानता हूँ -सत्यमेव जयते नान्रितम ! इट इज ट्रुथ एंड आणली ट्रुथ विच प्रिवेल्स !<br />भागो मत यहाँ से कायरों ! और यह भी कि, न रोक युधिष्ठिर को यहाँ .....Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7089285769560975105.post-57121794819213218672010-01-09T09:01:23.114+05:302010-01-09T09:01:23.114+05:30बहुत सटीकता से आपने बात को कहा, आभार पर बाड खेत को...बहुत सटीकता से आपने बात को कहा, आभार पर बाड खेत को खाने लगे तो क्या करियेगा?<br /><br />रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7089285769560975105.post-65810117523334263132010-01-09T07:21:02.076+05:302010-01-09T07:21:02.076+05:30नीयत अच्छी हो तो नकारात्मक भावनाएं भी सकारात्मक मे...नीयत अच्छी हो तो नकारात्मक भावनाएं भी सकारात्मक में बदलने का गुर रखती हैं ..मतभेद होना कोई गलत नहीं है ...जितना की मनभेद होना और किसी को नीचा दिखने के लिए गुटबाजी करना ...<br />सार्थक आलेख ...बहुत बढ़िया ...!!वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7089285769560975105.post-36483402481394870532010-01-09T07:16:14.532+05:302010-01-09T07:16:14.532+05:30सही पहचाम दी है आपने अपने शब्दों को!सही पहचाम दी है आपने अपने शब्दों को!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7089285769560975105.post-17212750531516034012010-01-09T06:55:38.428+05:302010-01-09T06:55:38.428+05:30किताबे गम में खुशी का िठकाना ढूंढो
अगर जीना है त...किताबे गम में खुशी का िठकाना ढूंढो <br />अगर जीना है तो हंसी का बहाना ढूंढो ।हास्यफुहारhttps://www.blogger.com/profile/14559166253764445534noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7089285769560975105.post-55904175160637673322010-01-09T03:01:51.179+05:302010-01-09T03:01:51.179+05:30धीरज धरिये और अपना कार्य करते रहिये.धीरज धरिये और अपना कार्य करते रहिये.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7089285769560975105.post-82630377568116023112010-01-09T02:57:00.253+05:302010-01-09T02:57:00.253+05:30खुली नज़र क्या खेल दिखेगा दुनिया का
बंद आंख से देख...खुली नज़र क्या खेल दिखेगा दुनिया का<br />बंद आंख से देख तमाशा ब्लॉगिंग का...<br /><br />जय हिंद...Khushdeep Sehgalhttps://www.blogger.com/profile/14584664575155747243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7089285769560975105.post-90970699137155857602010-01-09T01:43:12.066+05:302010-01-09T01:43:12.066+05:30आपने बिल्कुल सही कहा कि हमारे लेखन की नीयत साफ़ और ...आपने बिल्कुल सही कहा कि हमारे लेखन की नीयत साफ़ और स्पष्ट होनी चाहिएराजीव तनेजाhttps://www.blogger.com/profile/00683488495609747573noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7089285769560975105.post-60432750744501965702010-01-09T01:27:06.443+05:302010-01-09T01:27:06.443+05:30अजय भाई आप की बात से सहमत हू; केसी गुट वाजी, ओर कि...अजय भाई आप की बात से सहमत हू; केसी गुट वाजी, ओर किस लिये, हम सब का एक परिवार सा बन गया है, जब कोई नया आता है तो कोई भी अपना किवाड बन्द नही करता उस के लिये. ्सब प्यार से टिपण्णी भी करते है, अब कोई सभी से पंगा ले ओर सब मिल कर उसे धमकाये तो यह कोई गुट बाजी नही, हम सब के पास इतना समय नही कि दुनिया के झंझटॊ से बच कर यहा आये ओर यहां भी दिमागी परेशानी पाये..... लेकिन अब आदत हो गई है, बुरा लगता है लेकिन सहना आ गया है.<br />बहुत सुंदर लिखा, यह सब के दिल की बात होगीराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7089285769560975105.post-64814107940695991212010-01-09T00:27:39.489+05:302010-01-09T00:27:39.489+05:30नीयत सही हो और ईमानदारी हो दुनिया को बेहतर बनते हु...नीयत सही हो और ईमानदारी हो दुनिया को बेहतर बनते हुए देखने का जज्बा तो विचारधारा तो चलते चलते किसी रास्ते पर मिल जाती है। आप की सोच सही है अजय भाई।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7089285769560975105.post-76634790784661834162010-01-09T00:26:06.881+05:302010-01-09T00:26:06.881+05:30आपका यह पोस्ट बिल्कुल समय का मांग के हिसाब से है। ...आपका यह पोस्ट बिल्कुल समय का मांग के हिसाब से है। आपकी बातों से सहमत हूं। यह सब देख कर एक बार तो मन हुआ कि कहां आ फंसा। इससे तो अच्छा था कभी-कभार लिखता था और डायरी में बंद। पर फिर आप जैसे कुछ सिनियर ब्लॉगर्स के आलेख ने रुक कर कुछ और इंतज़ार करने का हौसला दिया। आज ही एक ब्लॉग पर एक अच्छे सृजनकार को अंग्रेज़ी के ब्लॉगिंग से हिन्दी में न आने का संकल्प फिर से मन दुखी कर गया।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7089285769560975105.post-49406185230659556962010-01-09T00:19:09.839+05:302010-01-09T00:19:09.839+05:30जीतने जिताने के लिए इतना ही चाहिए
इससे अधिक की दरक...जीतने जिताने के लिए इतना ही चाहिए<br />इससे अधिक की दरकार भी नहीं है<br />इसे पढ़कर उलझ न जाए<br />इतना कोई होशियार भी नहीं है।अविनाश वाचस्पतिhttps://www.blogger.com/profile/05081322291051590431noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7089285769560975105.post-37326390233405254962010-01-08T23:49:15.096+05:302010-01-08T23:49:15.096+05:30मिथिलेश भाई,
मैंने मुद्दों की नहीं नीयत की बात की...मिथिलेश भाई, <br />मैंने मुद्दों की नहीं नीयत की बात की है , और ये तो बिल्कुल ठीक बात कही आपने कि लेखन तो मुद्दों पर ही होना चाहिए मगर अहम बात है कि नीयत साफ़ और स्पष्ट होनी चाहिए ॥क्योंअजय कुमार झाhttps://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7089285769560975105.post-22536594373154267122010-01-08T23:40:32.314+05:302010-01-08T23:40:32.314+05:30बढीया लगा आपको पढकर , अजय जी आपसे काफी हद तक सहमत ...बढीया लगा आपको पढकर , अजय जी आपसे काफी हद तक सहमत हूँ , परन्तु जो भी बातें आपने बताई उसे हटाने के बाद हमारे पास किते मुद्दे बचेंगे लिखने को ?Mithilesh dubeyhttps://www.blogger.com/profile/14946039933092627903noreply@blogger.com