tag:blogger.com,1999:blog-7089285769560975105.post8034181978066974232..comments2023-10-24T14:27:17.400+05:30Comments on बुकमार्क ... : क्या ब्लॉगजगत के लिए भी कोई आचार संहिता बननी चाहिए ?अजय कुमार झाhttp://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-7089285769560975105.post-2439221902664266092008-10-13T18:38:00.000+05:302008-10-13T18:38:00.000+05:30aap sabkaa bahut bahut dhanyavaad.bahut see bhrant...aap sabkaa bahut bahut dhanyavaad.bahut see bhrantiyan aur sandeh door kar diye aapne. dhanyavaad.अजय कुमार झाhttps://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7089285769560975105.post-35386576457794217962008-10-13T07:26:00.000+05:302008-10-13T07:26:00.000+05:30आचार संहिता वहां जरूरी हो जाती है जहाँ प्रबुद्ध ,...आचार संहिता वहां जरूरी हो जाती है जहाँ प्रबुद्ध ,विवेकशील लोगों की कमी होती है -क्योंकि अच्छी समझ वालों के लिए तो एक अघोषित आचार संहिता रहती ही है .मगर क्या ब्लॉग की प्रकृति और प्रवृत्ति किसी आचार संहिता की मांग करती है ? शायद नहीं ,मगर जिस तरह यह माध्यम दिन ब दिन गंभीर अभिव्यक्ति का बायस बन रहा है अचार संहिता तो बननी ही है देर सबेर ! टिप्पणी पर तो ऐच्छिक अंकुश आज भी हैं !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7089285769560975105.post-66719362845185555552008-10-13T00:16:00.000+05:302008-10-13T00:16:00.000+05:30ब्लॉग बंधनहीन ही ठीक है। कुछ बार हम एक ब्लॉग पर जा...ब्लॉग बंधनहीन ही ठीक है। कुछ बार हम एक ब्लॉग पर जाते हैं, उसे परखते हैं, यदि हमें पसंद आता है तो बार बार वहाँ जाते हैं। लोगों को अपने लेखन के अनुसार पाठक मिल जाते हैं। रही बात अनाम रहने की तो वह स्वतन्त्रता भी ठीक है। यदि हमें कुछ टिप्पणियाँ आपत्तिजनक लगती है तो हम उन्हें हटा सकते हैं। प्रत्येक व्यक्ति स्वयं यह निर्धारित करता है कि क्या आपत्तिजनक है। मुझे हिनहिनाना आपत्तिजनक नहीं लगा,किसी अन्य को लग सकता था।<BR/>घुघूती बासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7089285769560975105.post-46279436267675581202008-10-12T18:44:00.000+05:302008-10-12T18:44:00.000+05:30कोई अपनी पोस्ट में गालियां बक रहा है तो कोई प्रतिक...कोई अपनी पोस्ट में गालियां बक रहा है तो कोई प्रतिक्रिया देने में। कौन बनाएगा यह आचार संहिता? कौन पालन करेगा इस का? कभी-कभी तो लगता है कि यही करना था तो ब्लाग पर क्यों....रंजन राजनhttps://www.blogger.com/profile/03646063513055002728noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7089285769560975105.post-53044214919384461802008-10-12T17:54:00.000+05:302008-10-12T17:54:00.000+05:30aap sabkaa bahut bahut dhanyvaad. sahee keh rahe h...aap sabkaa bahut bahut dhanyvaad. sahee keh rahe hain aap sab waise bhee mujhe to yahee lagtaa hai ki ham jo bhee likhte hain padhte hain wo sab apne charitra aur anubhav ke anuroop hee hotaa hai.अजय कुमार झाhttps://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7089285769560975105.post-91030100723766963082008-10-12T16:31:00.000+05:302008-10-12T16:31:00.000+05:30परमजीत जी ने सही कहा हैपरमजीत जी ने सही कहा हैGyan Darpanhttps://www.blogger.com/profile/01835516927366814316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7089285769560975105.post-41282463031487589882008-10-12T15:35:00.000+05:302008-10-12T15:35:00.000+05:30achhi aur suljhi postachhi aur suljhi postAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7089285769560975105.post-83445437623562601742008-10-12T13:30:00.000+05:302008-10-12T13:30:00.000+05:30बहुत बढिया पोस्ट लिखी है ।अचार सहीता की जगह स्व वि...बहुत बढिया पोस्ट लिखी है ।अचार सहीता की जगह स्व विवेक से बचाव के उपाय ढूंढना व सही दिशा अपना ही सही रास्ता है।पाबंदी लगाना नामुम्किन है।परमजीत सिहँ बालीhttps://www.blogger.com/profile/01811121663402170102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7089285769560975105.post-32359011469106637312008-10-12T13:21:00.000+05:302008-10-12T13:21:00.000+05:30सीधी-सी बात है कि जब तक व्यक्ति अपने निजी आचरण में...सीधी-सी बात है कि जब तक व्यक्ति अपने निजी आचरण में उत्त नहीं है तब तक किसी दे,समाज,या वर्ग थवा संगठन का भला नहीं हो सकता। आत्मानुशासन व संस्कारों की पृष्भूमि ही दशा व दिशा के नियामक होते हैं, अन्यथा आचार संहिता तोड़ने वालों के लिए कुछ भी असम्भव नही जब तक वे स्वयम् न चाहें।Kavita Vachaknaveehttps://www.blogger.com/profile/02037762229926074760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7089285769560975105.post-56362411192161221092008-10-12T12:50:00.000+05:302008-10-12T12:50:00.000+05:30कौन बनाएगा यह आचार संहिता? कौन पालन करेगा इस का? ऐ...कौन बनाएगा यह आचार संहिता? कौन पालन करेगा इस का? ऐसी आचार संहिता अक्सर बनती हैं और दराजों में रख कर लोग भूल जाते हैं. व्यक्ति ख़ुद ही अपने आचार-विचार का निर्माता होता होता है. सब को अपनी लक्ष्मण रेखा ख़ुद ही खींचनी है.Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/10037139497461799634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7089285769560975105.post-85215245381263803492008-10-12T12:46:00.000+05:302008-10-12T12:46:00.000+05:30इसका कुछ भी नहीं किया जा सकता है और ये ब्लाग सब के...इसका कुछ भी नहीं किया जा सकता है और ये ब्लाग सब के लिए हैं तो कोई भी लिख और कह सकता है। चाहे वो किसी भी फील्ड से जुड़ा क्यों ना हो। दूसरी बात बेनामी टिप्पणी का सिर्फ ये हो सकता है कि बेनामी कमेंट बंद कर दें और शायद आपने देखा होगा कि बहुतों ने ये इलाज कर लिया है।Nitish Rajhttps://www.blogger.com/profile/05813641673802167463noreply@blogger.com