tag:blogger.com,1999:blog-7089285769560975105.post3704763747917123374..comments2023-10-24T14:27:17.400+05:30Comments on बुकमार्क ... : ब्लॉगिंग को किसी न तो किसी आचार संहिता की जरूरत है न ही किसी दंड संहिता की ......अभी हिंदी ब्लॉगिंग को जरा जवां तो होने दीजीए हुजूर .....तब तक लडकपन चलने दीजीए न ....अजय कुमार झाhttp://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.comBlogger36125tag:blogger.com,1999:blog-7089285769560975105.post-58418021324709771042010-10-16T13:04:00.075+05:302010-10-16T13:04:00.075+05:30दुर्गा नवमी एवम दशहरा पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं.
...दुर्गा नवमी एवम दशहरा पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं.<br /><br />रामरा्म.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7089285769560975105.post-91213313158903721882010-10-16T13:03:51.929+05:302010-10-16T13:03:51.929+05:30क्या बिना आचार पापड के रोटी सिर्फ़ सब्जी से नही खा...क्या बिना आचार पापड के रोटी सिर्फ़ सब्जी से नही खाई जा सकती?:)\<br /><br />रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7089285769560975105.post-34877272924988129242010-10-15T19:25:44.733+05:302010-10-15T19:25:44.733+05:30इसका मतलब यह भी तो हुआ कि ब्लॉगिंग को अब जवां माना...इसका मतलब यह भी तो हुआ कि ब्लॉगिंग को अब जवां माना जाने लगा है ?शरद कोकासhttps://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7089285769560975105.post-47791972429129622962010-10-14T20:07:27.237+05:302010-10-14T20:07:27.237+05:30ये हुयी न सच्ची ब्लोगिंग और वसुधैव कुटुंबकम वाली ब...ये हुयी न सच्ची ब्लोगिंग और वसुधैव कुटुंबकम वाली बात, बहुत सुन्दर ....रवीन्द्र प्रभातhttps://www.blogger.com/profile/11471859655099784046noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7089285769560975105.post-77300660319591629242010-10-14T11:54:21.529+05:302010-10-14T11:54:21.529+05:30अचार के बिना भी स्वाद अच्छा है..अचार के बिना भी स्वाद अच्छा है..Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टूनhttps://www.blogger.com/profile/12838561353574058176noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7089285769560975105.post-80750542456197836902010-10-14T11:43:16.009+05:302010-10-14T11:43:16.009+05:30बिल्कुल सही लिखा है आपने! मैं आपकी बातों से पूरी त...बिल्कुल सही लिखा है आपने! मैं आपकी बातों से पूरी तरह सहमत हूँ!Urmihttps://www.blogger.com/profile/11444733179920713322noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7089285769560975105.post-28809914717861719572010-10-13T23:24:54.985+05:302010-10-13T23:24:54.985+05:30जो किशोरावस्था में संयमित नहीं हुआ, आगे तो दिग्भ...जो किशोरावस्था में संयमित नहीं हुआ, आगे तो दिग्भ्रमित ही होगा। जवानी दीवानी होती है और अभी से दीवानापन। अभी तो शैशवास्था है, संयम जरूरी है। संयम करो, यम से बचो। कल सबकी बारी है।अविनाश वाचस्पतिhttps://www.blogger.com/profile/05081322291051590431noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7089285769560975105.post-19760809525892943272010-10-13T21:20:53.214+05:302010-10-13T21:20:53.214+05:30आचारसंहिता का निर्माण करना ही हे तो सब से पहले सडक...आचारसंहिता का निर्माण करना ही हे तो सब से पहले सडक पर चलने के लिये बनाये, ओर बहुत से काम हे जिन मे इस की सख्त जरुरत हे, ब्लांगिग मे इस की अभी तो कॊई जरुरत नही, हां स्टेज या मंच पर इन भारी भारी शव्दो को बोलने मै मजा खूब आता हे ओर सामने बाले पर भी कुछ असर जरुर छॊडता होगा, वेसे हम मस्त मलंग हे जी, इस लिये इन से दुरी ही भली, बाकी आप की बातो से सहमत हे, धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7089285769560975105.post-74432393808921522942010-10-13T18:04:01.851+05:302010-10-13T18:04:01.851+05:30राजीव तनेजा जी की बात से सहमत हु क्या गलत है क्या ...राजीव तनेजा जी की बात से सहमत हु क्या गलत है क्या सही इसका निर्णय कौन लेगा सबका अपना नजरिया है सबको अपने विवेक पर छोड़ देना चाहिए और आप भी सही कह रहे है की आप के साथ कुछ गलत हो रहा है तो विरोध कीजिये लोग खुद ब खुद आप से जुड़ कर उसका विरोध करेंगे यही काफी है और कई जगह असर भी दिखा रहा है | फिर एक और संविधान की जरुरत ही क्या है |anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7089285769560975105.post-10755634109011819612010-10-13T17:58:40.464+05:302010-10-13T17:58:40.464+05:30आपकी बात से पूर्णत: सहमत ...आपकी बात से पूर्णत: सहमत ...Gyan Darpanhttps://www.blogger.com/profile/01835516927366814316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7089285769560975105.post-41278511870879676692010-10-13T17:11:20.493+05:302010-10-13T17:11:20.493+05:30कौन लागू करवाएगा और मानेगा और पालन करेगा कौन ? ......कौन लागू करवाएगा और मानेगा और पालन करेगा कौन ? ... इस विशाल ब्लॉग जगत में ये सिर्फ एक महज कपोल कल्पना है जी...समयचक्रhttps://www.blogger.com/profile/05186719974225650425noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7089285769560975105.post-62455520602054541162010-10-13T17:10:04.963+05:302010-10-13T17:10:04.963+05:30कौन लागू करवाएगा और मानेगा और पालन करेगा कौन ? ......कौन लागू करवाएगा और मानेगा और पालन करेगा कौन ? ... इस विशाल ब्लॉग में जगत में ये सिर्फ एक महज कपोल कल्पना है जी...समयचक्रhttps://www.blogger.com/profile/05186719974225650425noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7089285769560975105.post-67091818134354454642010-10-13T15:37:03.215+05:302010-10-13T15:37:03.215+05:30`वो जो सिर्फ़ पाठक हैं....जो सिर्फ़ पठन रस लेने के...`वो जो सिर्फ़ पाठक हैं....जो सिर्फ़ पठन रस लेने के ही ब्लॉग दर ब्लॉग घूमते हैं ..उनपर आप कौन सी आचार संहिता लागू करेंगे ?? '<br /><br />सही है जी, टिप्पणीकारों पर कोई अचार या चटनी नहीं चलेगी :) नहीं चलेगी, नहीं चलेगी :)चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7089285769560975105.post-35542140815174051582010-10-13T15:23:06.791+05:302010-10-13T15:23:06.791+05:30सहमत।सहमत।परमजीत सिहँ बालीhttps://www.blogger.com/profile/01811121663402170102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7089285769560975105.post-68375176011393122532010-10-13T11:50:53.753+05:302010-10-13T11:50:53.753+05:30आपकी बात से पूर्णत: सहमत ...
हर नीयम का तोड़ पहले...आपकी बात से पूर्णत: सहमत ...<br /><br />हर नीयम का तोड़ पहले बन जाता है ..संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7089285769560975105.post-24838471091547736442010-10-13T11:20:31.597+05:302010-10-13T11:20:31.597+05:30मेरे हिसाब से ब्लॉग्गिंग में किसी भी प्रकार की आचा...मेरे हिसाब से ब्लॉग्गिंग में किसी भी प्रकार की आचारसंहिता का निर्माण हमारी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का खुला उलंघन है...इसे किसी भी कीमत पर स्वीकार्य नहीं कहा जा सकता...क्योंकि जो किसी के लिए सही है तो वही दूसरे के लिए गलत भी हो सकता है...इसलिए इस बात में अंतर करना बहुत ही कठिन है कि क्या सही है और क्या गलत? अच्छे-बुरे को हमारे अपने...खुद के विवेक पर छोड़ दिया जाना चाहिए...राजीव तनेजाhttps://www.blogger.com/profile/00683488495609747573noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7089285769560975105.post-9822867957222085072010-10-13T10:25:16.190+05:302010-10-13T10:25:16.190+05:30bloging me aachar sanhita par
aapka santulit mul...bloging me aachar sanhita par<br /> <br />aapka santulit mulyankan ......<br /><br /><br />pranam.सञ्जय झाhttps://www.blogger.com/profile/08104105712932320719noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7089285769560975105.post-61041917079474703232010-10-13T10:25:01.294+05:302010-10-13T10:25:01.294+05:30संहिता के होने या न होने का संबंध सीधे वर्चुअल स्प...संहिता के होने या न होने का संबंध सीधे वर्चुअल स्पेस पर लिखनेवाले लोगों से है। ये कोई एक राज्यकीय स्पेस नहीं है कि कोई खाप पंचायती करने बैठ जाए। ये खुली दुनिया है। ये अलग बात है कि हम तीस-चालीस ब्लॉगरों को शक्ल,नाम और पता ठिकाने को जान लेते हैं तो बस इसे ही दुनिया मान लेते हैं। अगर कन्सेप्चुअली वर्चुअल स्पेस को समझने की कोशिश करें तो आचार संहिता पूरी तरह वर्चुअल स्पेस की अवधारणा के खिलाफ बात करनेवाला मुद्दा है।<br /><br />व्यावहारिक तौर पर देखें तो आपको कुछ ब्लॉगरों को नाम-पता सब ठीक-ठीक मालूम है तो आप लाद दें उन पर आचार संहिता और बाकियों के साथ आप क्या करेंगे? या फिर देर रात उस लेखक की नीयत बिगड़ जाए और बेनामी होकर कुछ लिख जाए तो आप क्या कर लेंगे? आप तकनीकी रुप से उसे आइडेंटिफाय भी कर लें तो फिर उससे ये कहां साबित हो सकेगा कि उसने ऐसा किस मनःस्थिति में रहकर किया? आप किसी की मनोदशा,उसकी चलन पर आचार संहिता लागू नहीं कर सकते। ये जब नागरिक संहिता के तहत जीनेवाले इंसान के बीच संभव नहीं हो पाता है तो आप मन की बारीकियों पर कैसे लागू कर सकेंगे?<br /><br />ये एक ग्लोबल माध्यम हैं,जिसमें आए दिन रगड़े होंगे और ये रगड़े जरुरी नहीं कि बलिया, बक्सर, बनारस, दिल्ली का ही लेखक करे और जिसका निपटारा वर्धा,इलाहाबाद में किया जाए? ये अमेरिका की समस्या पर मुनिरका( दिल्ली में एक स्टूडेंट प्रो इलाका)में बैठकर ताल ठोंकने का काम होगा। इसलिए मेरी अपनी समझ है कि ये मुद्दा वर्चुअल स्पेस की पूरी अवधारणा को बहुत ही सीमित और फ्रैक्चरड तरीके से देखने की कोशिश करता है। मुझे तो यहा तक लगता है कि जो कोई भी बेबाक तरीके से ब्लॉगिंग करता आया है,उसके दिमाग में इस मुद्दे का आना ही उसके लिखने पर प्रश्नचिन्ह लगा देता है।..<br /><br />मेरी बात पढ़कर आप कहेंगे कि मैं तब लिखने के नाम पर फुलटाइम,फुलटू,फुलस्पीड में आवारगी की डिमांड कर रहा हूं। नहीं,ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। कोई भी लेखक जब इस स्पेस पर लिखता है तो लिखने के साथ उसकी किसी न किसी रुप में प्रतिबद्धता होती है। बल्कि लिखना अपने आप में एक प्रतिबद्धता का काम है,खास तरीके की कमिटमेंट है। ये संहिता से कहीं आगे और बड़ी चीज है। संभव है कि ये प्रतिबद्धता हर किसी के लिखने में अलग-अलग तरीके और साइज के हो। कोई लिखकर किसी एक या दो शख्स की कनपटी गरम करना चाह रहा हो तो कोई अपने लेखन से पूरी सिस्टम को हिलाकर रख देने की मंशा रखता हो। ऐसे में मुझे लगता है कि हमें उसकी उस प्रतिबद्धता को लेकर बात करनी चाहिए,संहिता की नहीं।<br /><br />संहिता वाली बात संभव है जिस किसी के दिमाग में उपजी है,संभव है कि वो कुछ अश्लील और गालियों के इस्तेमाल किए जानेवाले शब्द को लेकर भी पनपी हो। लेकिन आप इन गालियों को प्रोत्साहित न करते हुए भी इसके समाजशास्त्र और लिखनेवाले के एग्रेशन लेबल तक ले जाकर सोचेंगे तो पूरे विमर्श का आधार ही बदल जाएगा। संहिता की बात करना दरअसल ब्लॉगिंग के भीतर की बनती संभावित कॉम्प्लीकेटेड बहस को सतही तौर पर जेनरलाइज और सतही कर देना होगा।<br /><br />हां इस पूरी बहस में एक चीज का जरुर पक्षधर हूं और वो भी किसी नियम के तहत नहीं,एक अपील भर कि लिखने के साथ-साथ अगर अकांउटबिलिटी आ जाए तो कुछ स्थिति और बेहतर हो सकती है। क्योंकि अनामी होकर हर कोई बहुत गहरी और व्यापक सरोकार की बात करेगा,जरुरी नहीं। अगर न भी अकांउटेबल होते हैं तो फिर बहुत दिक्कत नहीं है। हां बस अगर वो बम धमाके की तरह आतंकवादी संगठन जैसे जिम्मेदारी अपने-आप ले लेते हैं तो इससे व्यक्तिगत स्तर पर ब्लॉगरों की ताकत में जरुर इजाफा होगा और टेलीविजन के अतिरिक्त "वर्चुअल स्पेस पर स्टिंग ऑपरेशन" होते रहने का भय बना रहेगा।.विनीत कुमारhttps://www.blogger.com/profile/09398848720758429099noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7089285769560975105.post-32198453888438024972010-10-13T08:48:13.128+05:302010-10-13T08:48:13.128+05:30आचार संहिता ब्लोगरों के द्वारा स्वयं के नियंत्रण त...आचार संहिता ब्लोगरों के द्वारा स्वयं के नियंत्रण तथा ब्लोगिंग को सामाजिक सरोकार,परोपकार तथा जनकल्याण से मजबूती से जोड़ने से ही आ सकती है ना की किसी कानून,संविधान या आचार संहिता की किताब लिखकर ....वर्धा ब्लोगर संगोष्ठी से ऐसी संभावनाएं प्रबल हुयी है बस इसे अंजाम तक पहुँचाने का प्रयास हमसब को करना चाहिए ....honesty project democracyhttps://www.blogger.com/profile/02935419766380607042noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7089285769560975105.post-11263061450925686872010-10-13T08:03:40.374+05:302010-10-13T08:03:40.374+05:30बढ़िया लेख और सही स्थिति बयां कि है आपने ! महफूज़ ...बढ़िया लेख और सही स्थिति बयां कि है आपने ! महफूज़ के लिए हार्दिक शुभकामनायें ...Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7089285769560975105.post-62298541828461414212010-10-13T08:02:08.249+05:302010-10-13T08:02:08.249+05:30bilkul sahamat hoon, par aisa laga ki sab kuch gup...bilkul sahamat hoon, par aisa laga ki sab kuch gup chup rakha gaya !राम त्यागीhttps://www.blogger.com/profile/05351604129972671967noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7089285769560975105.post-60537250804910230572010-10-13T07:53:03.914+05:302010-10-13T07:53:03.914+05:30कोई भी "डंडा छाप आचार संहिता" ब्लॉगिंग म...कोई भी "डंडा छाप आचार संहिता" ब्लॉगिंग में कभी सफ़ल नहीं होगी, इस बात पर सम्मेलन में आम सहमति थी… और यही सच है…Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/02326531486506632298noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7089285769560975105.post-78859895338977311182010-10-13T07:47:04.031+05:302010-10-13T07:47:04.031+05:30कल पढते पढते अचानक नेट गायब हो गयी .. बहुत अच्छा ...कल पढते पढते अचानक नेट गायब हो गयी .. बहुत अच्छा लिखा आपने .. वाणी गीत जी से सहमत हूं .. <b>आचार संहिता तो देश और समाज में भी बनी हुई है , कितना पालन हो रहा है ..<br />यह हर व्यक्ति के विवेक पर निर्भर करता है ...!</b>संगीता पुरी https://www.blogger.com/profile/04508740964075984362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7089285769560975105.post-63006928592575200712010-10-13T07:40:31.934+05:302010-10-13T07:40:31.934+05:30आचार संहिता तो देश और समाज में भी बनी हुई है , कित...आचार संहिता तो देश और समाज में भी बनी हुई है , कितना पालन हो रहा है ..<br />यह हर व्यक्ति के विवेक पर निर्भर करता है ...!वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7089285769560975105.post-83180044173192978342010-10-13T06:51:18.597+05:302010-10-13T06:51:18.597+05:30आपके उठाये गए मुद्दे महत्वपूर्ण हैं ....और कुछ से ...आपके उठाये गए मुद्दे महत्वपूर्ण हैं ....और कुछ से पूरी सहमति भी !प्रवीण त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/02126789872105792906noreply@blogger.com