tag:blogger.com,1999:blog-7089285769560975105.post126085881838436954..comments2023-10-24T14:27:17.400+05:30Comments on बुकमार्क ... : माफ़ कीजियेगा , ब्लॉग्गिंग में ये ठेका आपको दिया गया है ..या आपने खुद ही ...अजय कुमार झाhttp://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.comBlogger20125tag:blogger.com,1999:blog-7089285769560975105.post-13144577890863519362009-08-26T22:36:17.232+05:302009-08-26T22:36:17.232+05:30अरे वाह अजय भाई, आपतो बहुत बढ़िया बेड़ा उठाये हुए है...अरे वाह अजय भाई, आपतो बहुत बढ़िया बेड़ा उठाये हुए हैं। ये सारी चिन्ताएं किसी भी संजीदा ब्लॉगर को परेशान करती होंगी। आप भी बेचैन हैं तो अच्छा है। बहुत से वरिष्ठ लोग इस प्रवृत्ति पर लगाम लगाने की समय-समय पर कोशिश कर चुके हैं, लेकिन यहाँ मुश्किल यह है कि एक पक्ष कुछ भी ऊल-जलूल कहने को स्वतंत्र होता है और दूसरा पक्ष शालीनता की भाषा से बँधा हुआ बहस को कुछ दूर तक ले जा पाता है फिर अगले पक्ष के थोथे और दिशाहीन तर्कों से किनारा कर लेना पड़ता है। मूल बात जस की तस पड़ी रह जाती है। <br /><br />मैं इस पोस्ट कर जिस समय टिप्पणी कर रहा हूँ उस समय तक आपकी अगली पोस्ट पर भी ४७ टिप्पणियाँ आ चुकी हैं और मेरी बात को सिद्ध करने के लिए कहीं और जाने की जरूरत नहीं रह गयी है। अब आप भी उस सूची में शामिल हो चुके हैं जो इस दुर्धर्ष प्रवृत्ति से कभी न कभी दो-दो हा्थ आजमाकर वह ज्ञान प्राप्त कर चुके हैं जिसके बाद आपने और टिप्पणियाँ न करने का अनुरोध तक कर डाला है।सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/04825484506335597800noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7089285769560975105.post-32036860543891604732009-08-23T18:06:37.885+05:302009-08-23T18:06:37.885+05:30सत्य वचन महाराज्।सत्य वचन महाराज्।Anil Pusadkarhttps://www.blogger.com/profile/02001201296763365195noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7089285769560975105.post-26435749086493168812009-08-23T17:09:52.235+05:302009-08-23T17:09:52.235+05:30बजा फरमा दिया या बजा दिया बाझा ?
चलो भाई आप जिस ब...बजा फरमा दिया या बजा दिया बाझा ?<br />चलो भाई आप जिस बिमारी को ठेकेदार कहते है हम गरीब ब्लोगर उसे सामन्तवादी रोग के नाम से पुकारते है।<br /><br />आभार एवम गणेशोत्सव पर हार्दिक मगलकामनाऍ<br />यह पढने के लिये किल्क करे।<br /><a href="http://ombhiksu-ctup.blogspot.com/" rel="nofollow">हिन्दी ब्लोग जगत के चहूमुखी विकास की कामना सिद्धिविनायक से</a><br /><br /><a href="http://dada1313.blogspot.com/" rel="nofollow">मुम्बई-टाईगर</a><br /><a href="http://mybloghindi.blogspot.com/" rel="nofollow">SELECTION & COLLECTION </a>हें प्रभु यह तेरापंथhttps://www.blogger.com/profile/12518864074743366000noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7089285769560975105.post-14257885793370643952009-08-23T15:24:14.568+05:302009-08-23T15:24:14.568+05:30बिलकुल सही कहाबिलकुल सही कहाअनिल कान्तhttps://www.blogger.com/profile/12193317881098358725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7089285769560975105.post-69020701241545248802009-08-23T13:55:09.097+05:302009-08-23T13:55:09.097+05:30उफ़ ये ठेकेदार ओर आप ....उफ़ ये ठेकेदार ओर आप ....विवेक रस्तोगीhttps://www.blogger.com/profile/01077993505906607655noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7089285769560975105.post-44984806378306729522009-08-23T13:21:13.243+05:302009-08-23T13:21:13.243+05:30सही सोच है, सही दिशा है और आवश्यक गति है। गतिशील र...सही सोच है, सही दिशा है और आवश्यक गति है। गतिशील रहिए, कारवॉ बनते रहेगा। कुछ तो लोग कहेंगे, लोगों का काम है कहना पर चौकीदार तो अपनी भूमिका निभाएगा ही परिंदा फड़फड़ाए या कोई सांखल बजाए, ्समय आई आवाज़ पर प्रतिक्रिया सजगता का प्रतीक है।धीरेन्द्र सिंहhttps://www.blogger.com/profile/12020246777509347843noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7089285769560975105.post-91997070508907448752009-08-23T07:29:06.591+05:302009-08-23T07:29:06.591+05:30बहुत खूब अजय जी,
बहुत कम ही हिंदी ब्लॉगर ऐसे हैं ...बहुत खूब अजय जी,<br /><br />बहुत कम ही हिंदी ब्लॉगर ऐसे हैं जो सटीक तथ्य व तर्क सहित बहस करते हैं। हालांकि अच्छी बहस भी किसी नतीजे पर कभी खतम नहीं हो सकती, फिर भी माद्दा तो रखते हैं। <br /><br />धर्म और राजनीति पर तो कुछ ना कहने का निश्चय कर, मैं ब्लॉग जगत में आया था।<br /><br />बाकी बात रही आधी दुनिया होने का दावा करने वाली प्रजाति की। तो इनके बारे में यहीं ब्लॉग जगत में कहीं पढ़ा था कि स्त्री नम्बर 1 बनो ना कि पुरूष नम्बर 2! इनमें से किसी एकाध सद्स्य की बात छोड़ दी जाए तो तकरीबन सभी एक निश्चित दिशा में बढ़िया लिख रहे हैं, विशिष्ठ विधायों में।<br /><br />यहाँ मुझे उड़न जी की बात थोड़ी असहज कर रही। हमसे बेहतर वे जानते हैं कि कितनी खासियतें हैं इस ब्लॉगजगत की। यदि वे एक बार और अपना कथ यहाँ दोहरा दें तो इसे एक चुनौती जैसा स्वीकारने को मैं व्यक्तिगत रूप से तैयार हूँ।<br /><br />और फिर बार-बार हिंदी ब्लॉगिंग को शैशवावस्था में कह कर क्या हम-आप ऐसा नहीं कर रहे जैसा किसी बच्चे को हमेशा पीछे धकिया जाता है कि तुम बच्चे हो, सीखने में समय लगेगा। क्या शैशवावस्था में डले संस्कार बड़े होने पर सराहे नहीं जाते? फिर शैशवावस्था से आगे ले जाने की जिम्मेदारी इसी परिवार के सद्स्य की होगी या किसी दूसरी भाषा वालों की?<br /><br />आप अपना प्रयास जारी रखें, लेकिन अपनी मूल शैली और भावनायों को बरकरार रखते हुए। कम से कम मेरा सहयोग तो मिल जाएगा। अच्छाइयाँ बहुत होती हैं, ब्लॉगजगत में भी हैं। मेरा ख्याल है श्रम उसी ओर किया जाना निर्विवाद व सार्थक होगा। पता नहीं क्यों साधु-बिच्छू की कहानी याद आ रही।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7089285769560975105.post-38065826786576963802009-08-23T03:10:30.919+05:302009-08-23T03:10:30.919+05:30मै इसे आपके सकारात्मक विचार कहूँ या नकारात्मक समझ ...मै इसे आपके सकारात्मक विचार कहूँ या नकारात्मक समझ मे नही आ रहा है लेकिन भाई यह इस माध्यम की शैशवावस्था है अत: इस तरह की अतिशयोक्तियाँ सम्भव हैं । इसे न तो धर्म के मठाधीशों वा सम्प्रदायवादियों का मंच बनने देना है ना ही इसे स्त्री विरुद्ध पुरुष के अखाड़े के रूप मे इस्तेमाल होने देना है । आप इस दिशा में चिंतित हैं यह आपकी भविष्योन्मुखी प्रवृत्ति को दर्शाता है । निश्चित ही आप इस माध्यम के भविष्य को लेकर चिंतित हैं लेकिन इस जनतंत्र में आप किसकी अभिव्यक्ति पर लगाम लगा सकते हैं । दिशा निर्देश देने के लिय हम में से अभी कोई सक्षम नही है । किसी की बुद्धि को चुनौती देना आसान नहीं है। ऐसा न हो कि व्यर्थ के इस व्यायाम मे आपका परिश्रम अकारथ सिद्ध हो । दूसरे बाहरी जगत मे भी अभी इस माध्यम की छवि अपने निर्माण की प्रक्रिया में है ऐसा न हो कि विवादों से उसे कोई नुकसान पहुंचे . साहित्यिक जगत मे भी अब विवादों को दरकिनार कर रचनात्मक लेखन की ओर ध्यान दिया जा रहा है । उस पथ पर चलने से बेहतर यह नही होगा कि हम अपना रास्ता स्वयं तलाशे ?-- आपका शुभाकान्क्षी- शरद कोकासशरद कोकासhttps://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7089285769560975105.post-57411690323864419362009-08-23T00:19:46.910+05:302009-08-23T00:19:46.910+05:30अरे भैये...इतने सारे ठेकेदारों को झेल लिया, तो आप ...अरे भैये...इतने सारे ठेकेदारों को झेल लिया, तो आप को भी झेल ही लेंगे:)चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7089285769560975105.post-48856451317653164382009-08-22T23:42:24.978+05:302009-08-22T23:42:24.978+05:30सही कहा..सही कहा..रंजन (Ranjan)https://www.blogger.com/profile/04299961494103397424noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7089285769560975105.post-38146538330269599362009-08-22T23:19:30.674+05:302009-08-22T23:19:30.674+05:30इस हिन्दी ब्लाग जगत में मैं तो भुक्त भोगी हूं ....इस हिन्दी ब्लाग जगत में मैं तो भुक्त भोगी हूं .. पर न तो भविष्यवाणी करना छोड सकती .. और न ही टिप्पणी करने की प्रवृत्ति को .. और हिन्दी ब्लाग जगत को छोड पाना तो असंभव है .. लाचार हूं भई !!संगीता पुरी https://www.blogger.com/profile/04508740964075984362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7089285769560975105.post-30258989057998046522009-08-22T22:45:45.799+05:302009-08-22T22:45:45.799+05:30सत्य वचनसत्य वचनराजीव तनेजाhttps://www.blogger.com/profile/00683488495609747573noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7089285769560975105.post-14255466558429349882009-08-22T22:42:52.394+05:302009-08-22T22:42:52.394+05:30अरे बाप रे ! कोई तहलका टाइप खुलसा होने वाला है शयद...अरे बाप रे ! कोई तहलका टाइप खुलसा होने वाला है शयद !!!Unknownhttps://www.blogger.com/profile/05851580174664344691noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7089285769560975105.post-79035909983194436632009-08-22T22:23:08.282+05:302009-08-22T22:23:08.282+05:30ऐसा भी होना चाहिए
जिसे न पढ़ना पढ़े
और न टिपियाने ...ऐसा भी होना चाहिए<br />जिसे न पढ़ना पढ़े<br />और न टिपियाने की<br />पसंद चटकाने की<br />हो जरूरत<br />बेमुहूर्त<br />गाल बजाने वालों को<br />शब्दों का ढोल चटकाने वालों को<br />और आर्य जी<br />जागरूक हो गई है नारी<br />मतलब <br />जाग कर रूक गई है नारी<br />अपने ही उपर चला रही है आरी<br />दे रही है सबको खूब गारी<br />गलत ?<br />गलत लिखा हो तो सारी।अविनाश वाचस्पतिhttps://www.blogger.com/profile/05081322291051590431noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7089285769560975105.post-28761894303594544612009-08-22T21:13:01.906+05:302009-08-22T21:13:01.906+05:30खासियत जानने को बेताब हो उठा हूँ.खासियत जानने को बेताब हो उठा हूँ.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7089285769560975105.post-2184172997234881852009-08-22T21:09:22.412+05:302009-08-22T21:09:22.412+05:30भाई एसे लोग स्वयं ही सिमट कर रह जाते हैं...न कोई ...भाई एसे लोग स्वयं ही सिमट कर रह जाते हैं...न कोई उनके ब्लाग पढ़ता है न ही प्रतिक्रियाएंKajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टूनhttps://www.blogger.com/profile/12838561353574058176noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7089285769560975105.post-11232322448534683902009-08-22T20:58:13.386+05:302009-08-22T20:58:13.386+05:30बजा फ़रमाया आपने.
रामराम.बजा फ़रमाया आपने.<br /><br />रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7089285769560975105.post-31524047399289790352009-08-22T20:47:28.302+05:302009-08-22T20:47:28.302+05:30अजय जी
सादर वन्दे !
आपने बिल्कुल ठीक लिखा है ! इन ...अजय जी<br />सादर वन्दे !<br />आपने बिल्कुल ठीक लिखा है ! इन विद्वानों ने तो अपने को भगवान से भी ऊँचा समझ लिया है, और आज की नारी इतना जागरुक हो गयी है कि बात समझाने व समझने कि जगह धमकियां देना शुरू कर दीं हैं.<br />और ये सभी अपने आप को एक दुसरे से बड़ा साबित करने में अनाप-सनाप लिखते जा रहे हैं. इसका अंत क्या होगा नहीं मालूम लेकिन आप कि तरह प्रयास होना ही चाहिए.<br />रत्नेश त्रिपाठीaaryahttps://www.blogger.com/profile/08420022724928147307noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7089285769560975105.post-35598668955847942072009-08-22T20:47:10.178+05:302009-08-22T20:47:10.178+05:30बहुत सही कहा आपने. ठेकेदारी यहाँ भी जोरशोर से चल र...बहुत सही कहा आपने. ठेकेदारी यहाँ भी जोरशोर से चल रही है.M VERMAhttps://www.blogger.com/profile/10122855925525653850noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7089285769560975105.post-57188204945404036212009-08-22T20:23:27.059+05:302009-08-22T20:23:27.059+05:30नही ,आप बिलकुल बजा फरमा रहे हैं -अब ये फरमान आया ह...नही ,आप बिलकुल बजा फरमा रहे हैं -अब ये फरमान आया है की पुरुष लोग अपना रास्ता नापे ! हद है कैसे कैसे ठसक लिए पड़े हैं लोग यहाँ ! जो संविधान प्रद्दत्त मूल अधिकारों पर भी हल्ला बोल रहे हैं !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.com